एक अरबपति शख़्स कैसे बना आतंकी ओसामा बिन लादेन???


 प्रारंभिक जीवन

ओसामा बिन लादेन का जन्म 10 मार्च 1957 को साऊदी अरब के रियाध में हुआ था| ओसामा के पिता का नाम बिन मोहम्मद था| ओसामा बिन लादेन का पूरा नाम "ओसामा बिन मोहम्मद बिन अवाद बिन लादेन" था| बिन मोहब्बत की 10 पत्नियां थी जिनमें से दसवीं पत्नी जिसका नाम हमीदा था, उसने ओसामा बिन लादेन को जन्म दिया था| ओसामा बिल लादेन के जन्म के पश्चात बिन मोहम्मद और हमीदा का तलाक हो गया और वे दोनों अलग रहने लगे| इसके पश्चात हमीदा ने  दूसरी शादी कर ली जिससे उसके तीन बेटे और एक बेटी हुई| ओसामा बिन लादेन, हमीदा के साथ अपने चार सौतेले बहन-भाईयों के साथ रहने लगे, यह परिवार सऊदी अरब का एक अरबपति परिवार था जिसकी पहचान बड़े-बड़े रईस घरानों से थी| ओसामा का परिवार construction business किया करता था, जिसके जरिए उन्होंने काफी दौलत और शोहरत हासिल की थी|
ओसामा की शिक्षा को लेकर कोई सटीक जानकारी नहीं मिलती लेकिन वह पढ़ा लिखा था यह बात प्रत्यक्ष रूप से साबित हुआ करती है| कई लोग कहते हैं ओबामा ने Economics पढी थी, कई कहते हैं कि ओसामा ने civil engineering और Public administration की डिग्रीयां भी हासिल की थी, चूंकि ओसामा का परिवार construction business से जुड़ा था इसलिए civil engineering का तर्क कुछ हद तक सही लगता है|

ओसामा बिन लादेन की निजी ज़िन्दगी

ओसामा बिन लादेन के बारे में ज्यादा निजी जानकारियां नहीं मिलती है| अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और अन्य खुफिया एजेंसियों द्वारा बताई गई जानकारियों से यह पता चलता है कि उसकी कुल 6 पत्नियां थी जिससे उसे 20 से 26 बच्चे थे|

सोवियत अफगान युद्ध की भूमिका 

वर्ष 1979 में अफगानिस्तान में अचानक से सरकार का तख्तापलट हो गया| अफगानिस्तान में कम्युनिस्टों की सरकार आ गई थी जिससे अफगानिस्तान के निवासियों को यह भय होने लगा था कि वे उनके सांस्कृतिक अधिकारों का हनन कर लेंगे| वे लोग कम्युनिस्ट सरकार के विरोध में प्रदर्शन करने लगे, यह लोग ही मुजाहिदीन कहलाए| चूंकि उस वक्त रूस में भी कम्युनिस्ट शासन था इसलिए अफगानिस्तान के कम्युनिस्टों को सोवियत का पूरा समर्थन मिला| सोवियत मुजाहिदीनो के खिलाफ कम्युनिस्टों का पूर्णतः समर्थन करने लगा| वर्ष 1979 में ही ओसामा बिन लादेन ने college छोड़ दिया और वो अफगानिस्तान आ गया, उसने सोवियत-अफगान युद्ध में मुजाहिदीनों को अपना समर्थन दिया| ऐसा भी कहा जाता है कि इस दौरान उसके रिश्ते पाकिस्तान के कई आला अधिकारियों से बेहतर हो गए थे| 
सोवियत के इस युद्ध में आ जाने के पश्चात अमेरिका में इस युद्ध में कूद पड़ा| अमेरिका सोवियत को हराने के लिए मुजाहिदीनों का पूर्णतः समर्थन किया करता था| अमेरिका उन्हें आर्थिक सहायता, हथियारों की सहायता व अन्य सहायताएं किया करता था| अमेरिका ने कई ऐसे संगठनों की सहायता की जो सोवियत के खिलाफ थे| अमेरिका ने ही उन आतंकवादियों को खड़ा किया था जिन्होंने आगे चलकर उनके मुल्क को ऐसा घाव दिया जो कभी नहीं भर सका| वर्ष 1989 आते-आते सोवियत को यह समझ आ गया था कि अफगानिस्तान में उनकी विजय नहीं हो सकती इसलिए उन्होंने अपनी सेना वापस ले ली| इस तरह सोवियत अफगान युद्ध का अंत हुआ| इस युद्ध के पश्चात जब वर्ष 1990 में ओसामा बिन लादेन साऊदी अरब वापस लौटा तो उसका स्वागत बहुत धूमधाम से किया गया| सऊदी के लोगों का यह मानना था कि इस युद्ध में सोवियत की हार का एक बड़ा कारण ओसामा बिन लादेन साबित हुआ| ओसामा का स्वागत "Hero of Jihad" के रूप में किया गया|
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संगठनों का निर्माण

ओसामा बिन लादेन ने वर्ष 1984 में Maktab-al-khidmat का निर्माण किया| इस संगठन का कार्य पैसे, हथियारों और लड़ाकों का हिसाब रखना था जोकि अरब देशों से आया करते थे और उसके पश्चात इन लड़ाकों को प्रशिक्षण दिया जाता था, उसके बाद उन्हें अफगानिस्तान भेज दिया जाता था| वर्ष 1988 आते-आते ओसामा ने इस संगठन को छोड़ दिया और उसने 1988 में ही Al Qaeda का निर्माण किया Al Qaeda के शुरुआती उद्देश्य थे अल्लाह के शब्दों को विश्व में फैलाना परंतु समय के साथ इस संगठन के उद्देश्य में बहुत बड़ी तब्दीली आई Al Qaeda में शामिल होने के लिए लोगों का एक अच्छा श्रोता और एक अच्छा वक्ता होना जरूरी था| उनमें तहजीब होनी चाहिए और वे अपने से बड़ों की बात मानें|

अमेरिका से नफरत 

जब ओसामा बिन लादेन वर्ष 1990 में सऊदी अरब वापस लौटा तो वह लोगों के बीच काफी मशहूर हो चुका था, बड़े-बड़े लोग अपनी नौकरियां छोड़ कर उसके साथ जुड़ने लगे थे| उस वक्त के सऊदी अरब के तानाशाह सद्दाम हुसैन को यह डर होने लगा था कि कहीं ओसामा के कारण लोग बगावत ना करने लग जाए| अगस्त 1990 में इराक ने कुवैत पर हमला कर दिया ओसामा ने सद्दाम हुसैन को सुझाव दिया कि इस हमले को ध्वस्त करने में सोवियत अफगान युद्ध के अफगान लड़ाकों की सहायता ली जाए परंतु सद्दाम हुसैन ने ओसामा की इस बात को नकार दिया और उन्होंने अमेरिका से मदद मांगी| अमेरिका ने सऊदी अरेबिया में अपनी सेना का फैलाव करवा दिया जिससे ओसामा बिन लादेन काफी नाराज हुआ| ओसामा ने इस बात को लेकर आपत्ति जताई कि अल्लाह के शहर मक्का और मदीना में अमेरिकी सेना क्या कर रही है? इस घटना के पश्चात ओसामा बिन लादेन ने यह प्रण लिया कि वह अपनी Al Qaeda को अमेरिका से भी शक्तिशाली बनाएगा|
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आतंकवाद की ओर

वर्ष 1991 में ओसामा बिन लादेन अफगानिस्तान चला गया और उसके बाद वह सूडान चला गया जहां उसने अपना पुराना construction business शुरू किया जिसके जरिए उसने बहुत पैसे कमाए परंतु उसका कोई फायदा नहीं हुआ| अमेरिका सुडान पर ओसामा बिन लादेन को देश से भगाने का दबाव डाल रहा था, अंततः वर्ष 1996 में सूडान ने ओसामा बिन लादेन को निकाल दिया और उसे एक रुपया भी ले जाने नहीं दिया| उसके कमाए सारे पैसों को सूडान सरकार ने रख लिया| उसके पश्चात वर्ष 1996 में वह वापस अफगानिस्तान चला गया जहां रहकर वह हमलों की तैयारियां करने लगा|  वर्ष 1998 में उसने अफ्रिका स्थित अमेरिकन एंबेसी पर हमला किया जिसमें कई लोगों की मृत्यु हुई, इसके पश्चात वह एक ऐसे हमले की तैयारी में जुट गया जिसने संपूर्ण विश्व को हिला कर रख दिया| वर्ष 1999 में अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को 10 most wanted आतंकियों की सूची में रखा| ओसामा बिन लादेन ने 11 सितंबर 2001 को अमेरिका के World trade centre और Pentagon पर plane hijack द्वारा हमला करवाया जिसमें कई हजारों लोगों की जानें गई| इस घटना ने ओसामा बिन लादेन को पूरे विश्व में कुख्यात बना दिया था|

ओसामा बिन लादेन का अंत

9/11 के हमले के पश्चात अमेरिकन सरकार ने तुरंत कार्यवाही के आदेश दे दिए| ओसामा बिन लादेन को ढूंढने का हर संभव प्रयास आरंभ हुआ| वर्ष 2001 से 2007 के बीच ओसामा बिन लादेन के ऊपर $25 million का इनाम भी रखा गया जिसे वर्ष 2014 में दोगुना करके $50 million कर दिया गया| अंततः वर्ष 2010 में अमेरिकन खुफिया एजेंसी CIA ने अन्य खुफिया एजेंसियों की मदद से इस बात का पता लगा लिया था कि ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान के ऐबटाबाद में छुपा हुआ है, जिसके बाद लगभग 1 वर्ष तक ड्रोन द्वारा उस पर निगरानी रखी गई और अंततः 2 मई 2011 कि सुबह 1:00 बजे के करीब Operation neptune spear के अंतर्गत Navy seal commando द्वारा ओसामा बिन लादेन को मार गिराया गया| उसके शव को एक बैग में भरकर कमांडो अपने साथ ले आए| ओसामा बिन लादेन की मृत्यु के पश्चात 3 वर्षों तक यह बात किसी को पता नहीं चली कि उसके शव को कहां दफनाया गया, 3 वर्ष के बाद इस बात का खुलासा सीआईए के एक पूर्व अधिकारी ने अपनी पुस्तक में किया उन्होंने कहा कि अमेरिका कभी भी यह नहीं चाहता था कि ओसामा बिन लादेन की कब्र बने क्योंकि यदि ऐसा होता तो यह स्थान आतंकवादियों के लिए एक प्रख्यात स्थान के रूप में मशहूर हो जाता इसीलिए ओसामा बिन लादेन के शव को 136kg लोहे की जंजीर के साथ कब्र में डालकर समंदर की गहराइयों में दफन कर दिया गया, जिससे कि उसके शव का पता न लगाया जा सके|
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धन्यवाद

गौरव कुमार