कौन थे लाल बहादुर शास्त्री?
लाल बहादुर शास्त्री भारतीय इतिहास में एक ऐसे प्रधानमंत्री हुए हैं जिन्होंने अपने महज़ 18 महीनों के कार्यकाल में संपूर्ण विश्व को यह दिखा दिया था भारत स्वयं के दम पर भी स्वयं को विकसित कर सकता है| लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 में हुआ था एवं उनका निधन 11 जनवरी 1966 को रहस्यमय तरीके से हुआ था| लाल बहादुर शास्त्री, पंडित नेहरू के बाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने| उस वक्त राजनीतिक अस्थिरता के बीच भी उन्होंने देश को एक डोर से बांधे रखा था| उस वक्त भारत में अनाज की कमी थी इसलिए अमेरिका से गेहूं आया करता था जोकि बहुत ही निम्न गुणवत्ता का हुआ करता था इसलिए लाल बहादुर शास्त्री ने अमेरिका से आनज के आयात पर मनाहीं लगा दी और देशवासियों से यह आह्वान किया कि वे घर-घर खेती करें और अपने एक समय का भोजन को कम करें| लोगों ने उनके आह्वान का समर्थन किया और हफ्ते में एक दिन लोग उपवास रखने लग गए| लाल बहादुर शास्त्री ने ही भारत को जय जवान जय किसान का नारा दिया था| अभी तक लोग उनको एक नर्म राजनेता समझते थे परंतु उन्होंने 1965 के भारत-पाक युद्ध में ईट का जवाब पत्थर से देखकर यह सिद्ध कर दिया कि यदि भारत पर आंच आती है तो वे उसका भली-भांति उत्तर देना भी जानते हैं| भारतीय इतिहास में यह पहला मौका था जब प्रधानमंत्री ने सेना को कार्रवाई करने की पूरी छूट दे रखी थी| लाल बहादुर शास्त्री इस नेतृत्व की क्षमता को पूरे विश्व में देखा था|
लाल बहादुर शास्त्री का रहस्यमय निधन
वर्ष 1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच शांति व्यवस्था को पुनः स्थापित करने के लिए ने सोवियत संघ के ताशकंद में ताशकंद समझौता करवाया| 10 जनवरी 1966 को यह समझौता पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अयूब खान और भारतीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बीच हुआ समझौते के कुछ वक्त बाद ही सुबह के 1:32 मिनट पर लाल बहादुर शास्त्री का रहस्यमई रूप से निधन हो गया|
शास्त्री जी की मृत्यु पर उठे प्रश्न
लोगों को यह बात तनिक भी समझ नहीं आ रही थी कि इस तरह अचानक से शास्त्री जी का निधन कैसे हो सकता है! इस दौरे पर आने से पूर्व उनके स्वास्थ्य का पूर्ण रूप से निरीक्षण किया गया था| लोगों को यह बताया गया कि शास्त्री जी को हार्ट अटैक आया था परंतु उनके साथ उस सफर में गए हुए डॉक्टर्स का कहना था कि उन्हें किसी तरह का कोई हार्ट अटैक नहीं आया था|
शास्त्री जी की हत्या का शक
शास्त्री जी की मृत्यु पर कई प्रकार के प्रश्न उठने लगे थे| लोगों को इसमें एक हत्या की साजिश नजर आने लगी थी| लोगों के सवालों में से कई प्रश्न जायज थे|
शास्त्री जी की हत्या के शक का सर्वप्रथम कारण यह था कि उन्हें किसी होटल में नहीं ठहराया गया था इसके विपरीत उन्हें ताशकंद के एक बड़े बंगलो में ठहराया गया था| शास्त्री जी जिस कमरे में रुके हुए थे उस कमरे में कोई भी बेल या टेलीफोन नहीं था जोकि बड़े अचंभे की बात थी| शक का कारण यह भी बनता है कि शास्त्री जी के सचिव और डॉक्टरों इत्यादि को उनसे काफी दूर ठहराया गया था| शास्त्री जी के कमरे तक पहुंचने में उन्हें लगभग 5 से 7 मिनट का समय लगता था|
शास्त्री जी की मृत्यु से संबंधित संदेह इसलिए भी उभर रहे थे क्योंकि शास्त्री जी के पार्थिव शरीर का पोस्टमार्टम नहीं करवाया गया था| यदि शास्त्री जी के पार्थिव शरीर का पोस्टमार्टम हुआ होता तो यह बात स्पष्ट रूप से साबित हो जाती कि उनकी मृत्यु का कारण क्या था? शास्त्री जी की मृत्यु के पश्चात संदेहों की जांच करने के लिए किसी प्रकार की भी कमीशन का गठन नहीं किया गया था| विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेई भी कमीशन का गठन करवाने के पक्ष में थे किंतु उसके बावजूद भी किसी प्रकार की कमीशन को गठित नहीं करवाया गया|
जब शास्त्री जी का पार्थिव शरीर उनके परिवार को सौंपा गया तो उनकी पत्नी श्रीमती ललिता शास्त्री ने देखा था कि उनका आधा शरीर नीला पड़ चुका था जो केवल जहर देने के कारण ही हो सकता था, उनका कहना था कि शास्त्री जी के शरीर पर कई कट के निशान भी थे| शास्त्री जी की मृत्यु के पश्चात उनसे संबंधित सभी वस्तुएं उनके परिवार को लौटा दी गई थी सिवाय उनके थरमस के| शास्त्री जी अपने थरमस को सदैव अपने पास रखते थे और जब उनकी मृत्यु हुई तो उस कक्ष में उस थरमस को अंतिम बार बिखरा हुआ देखा गया था, उसके पश्चात आज तक यह नहीं पता चला है कि वह थरमस कहां गया! शास्त्री जी सदैव अपने साथ अपना रसोईया लेकर चला करते थे और हमेशा उसके द्वारा बनाए गए खाने को ही खाते थे परंतु उस रात शास्त्री जी को एक दूसरे रसोईए जान मोहम्मद के हाथों का खाना दिया गया था, यह बात लोगों के मध्य शक का कारण पैदा करती है|
शास्त्री जी के पार्थिव शरीर का निरीक्षण करने वाले सीनियर डॉक्टर Dr. R.N.Chugh पर दो बार जानलेवा हमला हुआ| वर्ष 1977 में Dr. R.N.Chugh की एक ट्रक दुर्घटना में मृत्यु हो गई जिससे पश्चात शास्त्री जी से संबंधित सभी सबूतों को मिटाने का शक उत्पन्न होने लगा| यह भी कहा जाता है कि शास्त्री जी की मृत्यु से संबंधित सभी फाइलें गायब कर दी गई और सभी सबूतों को भी मिटा दिया गया|
शास्त्री जी की मृत्यु पर संदेह उत्पन्न करने का एक मुख्य कारण यह भी माना जाता है कि शास्त्री जी ने देश के वैज्ञानिकों को यह स्पष्ट रूप से कह दिया था कि आप Nuclear programme को चालू करें और भारत को भी परमाणु संपन्न देश बनाएं| ऐसा भी कहा जाता है कि कुछ देश शास्त्री जी के इस फैसले के बाद से यह नहीं चाहते थे कि भारत भी परमाणु संपन्न देश बने| इस संदेश की कड़ी को मजबूती तब प्रदान हुई जब भारतीय Nuclear programme के जनक होमी जहांगीर भाभा की 24 जनवरी 1966 को एक प्लेन दुर्घटना में मृत्यु हो गई| लोगों का कहना था कि यह बात संयोग की नहीं हो सकती कि शास्त्री जी की मृत्यु के 13 दिन पश्चात ही होमी जहांगीर भाभा की भी मृत्यु हो गई| कुछ लोगों का यह भी कहना था कि जहांगीर भाभा के प्लेन में एक छोटा सा बम धमाका करवाया गया जिससे कि प्लेन का संतुलन बिगड़ गया और वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया|
आज शास्त्री जी की मृत्यु के लगभग 5 दशकों के पश्चात भी उनकी मृत्यु का रहस्य सुलझ नहीं पाया है| यदि शास्त्री जी के पार्थिव शरीर का पोस्टमार्टम किया गया होता तो लोगों के मन में उठ रहे लगभग आधे सवालों के उत्तर पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही मिल जाते परंतु ऐसा हो ना सका| आज भी शास्त्री जी की मृत्यु हम सब के बीच एक रहस्य कायम किए हुए है|






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