यहूदियों का प्राचीन इतिहास
विश्व इतिहास में यहूदियों का इतिहास एक दर्दनाक पहलू का रूप दर्शाता है| आमतौर पर यह माना जाता है कि सिर्फ हिटलर ने ही यहूदियों पर बर्बरता दिखाई किंतु ऐसा नहीं है हिटलर से पहले भी यहूदियों पर कई प्रकार के अत्याचार हुए| यूरोपियन देश ईसा मसीह के हत्यारे के रूप में पूरे यहूदी समुदाय को दोषी मानते थे| ईसा मसीह को क्रॉस पर चढाने के बाद यूरोपीय देशों में ईसाई धर्म का प्रसार बहुत तेजी से हुआ| इसके बाद यूरोपियन देशों में यहूदियों के प्रति एक घृणा का भाव उत्पन्न हो गया था, इन देशों में यहूदियों को देखते ही मार दिया जाने लगा| यूरोपीय देशों में यहूदियों का नरसंहार किया जाने लगा, यहूदी अपनी जान की रक्षा के लिए भागने लगे| 11वीं शताब्दी में सेल्यूक टर्स और इसके बाद क्यूट्रेडस ने यहूदियों को बड़ी बेरहमी से मरवाना शुरू किया| यहूदी अपनी रक्षा के लिए यूरोप के कुछ देशों और रूस में शरण लेने लगे लेकिन यहां भी वे सुरक्षित नहीं थे| रूस में भी बड़ी बेरहमी से उन्हें मारा जाने लगा| यहूदी बचते बचाते कई देश पहुंचे परंतु उन देशों ने उन्हें आसरा देने से मना कर दिया, तत्पश्चात यहूदी पोलैंड पहुंचे जहां उन्हें रहने के लिए आसरा प्रदान किया गया| पोलैंड को यहूदी एक सुरक्षित स्थान मानने लगे और पूरे विश्व से बचे हुए यहूदी पोलैंड में आकर बसने लगे लेकिन यह उनके लिए एक भयानक स्वप्न तब साबित हुआ जब द्वितीय विश्व युद्ध में सितंबर 1939 में हिटलर ने पोलैंड पर कब्जा कर लिया| हिटलर यहूदियों से बहुत ज्यादा घृणा किया करता था, हिटलर का तो यह कहना था कि जर्मनी प्रथम विश्वयुद्ध यहूदियों के कारण ही हारा था| हिटलर ने यहूदियों के खिलाफ अत्याचार और बर्बरता की सारी हदें पार कर दी थी| हिटलर ने लगभग 60 लाख यहूदियों को गैस चेंबर में भरवाकर मरवा डाला था| बाकी बचे हुए यहूदी अपने प्राणों की रक्षा के लिए जर्मनी छोड़कर भागने लगे और छुपते छुपाते कहीं-कहीं आसरा लेने लगे| द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी (हिटलर) की पराजय के बाद यहूदियों में थोड़ा स्थिरता का माहौल उत्पन्न हुआ|
यहूदियों के देश इजराइल का गठन
ब्रिटेन middle east देशों को सदैव अस्थिर रखना चाहता था इसलिए उसने यहूदियों का समर्थन पाने के लिए यह घोषणा की कि ऑटोमन साम्राज्य को समाप्त करके वहां यहूदियों के लिए एक देश बसाया जाएगा, इस बात को और अधिक जोर देने के लिए ब्रिटेन ने वर्ष 1917 में जारी कर दिया जिसके अंतर्गत उसने यहूदियों के लिए एक अलग देश बनाने की बात कही|ब्रिटेन के इस घोषणा से सभी यहूदी ब्रिटेन के समर्थन में आ गए यहूदी लोग बहुत ही बुद्धिमान होते हैं, ब्रिटेन यहूदियों की इसी बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल करना चाहता था इसलिए उसने यह घोषणा की| हालांकि ब्रिटेन फिलिस्तीन का इलाका यहूदियों को नहीं देने वाला था क्योंकि इससे पूर्व उसने फ्रांस और सऊदी के राजा से भी यह वायदा किया था कि यदि वे प्रथम विश्व युद्ध में उसका समर्थन करते हैं तो वह फिलिस्तीन उन्हें सौंप देंगे| वर्ष 1918 में प्रथम विश्व युद्ध समाप्त हुआ और वर्ष 1920 में ऑटोमन साम्राज्य का विभाजन हुआ फिलिस्तीन का इलाका विवादास्पद होने की वजह से ब्रिटेन ने वर्ष 1920 में उसे League of nation को सौंप दिया| League of nation ने वर्ष 1922 में फिलीस्तीन को पुनः ब्रिटेन को सौंप दिया| ब्रिटेन ने फिलिस्तीन के विभाजन के लिए मील कमीशन का गठन किया गया| मील कमीशन का कहना था कि फिलिस्तीन को यहूदियों, मुसलमानों और ईसाइयों में बांट देना चाहिए| इस प्रस्ताव का सबने विरोध किया| इसी दौरान फिलिस्तीन में भारी दंगे होने लग गए| वर्ष 1939 आते-आते द्वितीय विश्व युद्ध भी आरंभ हो गया, इस युद्ध में भी ब्रिटेन और उसके समर्थक देशों की विजय हुई| वर्ष 1945 में UNO का गठन हो चुका था| ब्रिटेन ने फिलिस्तीन के मामले को सुलझाने के लिए उसे UNO को सौंप दिया| UNO ने इस मसले को सुलझाने के लिए 11 सदस्यों की एक कमेटी बनाई जिसने भूतपूर्व मिल कमीशन को सही बताया और फिलिस्तीन का विभाजन तीन प्रकार से कर दिया| फिलिस्तीन का 44% हिस्सा यहूदियों को दिया गया, 55% हिस्सा अरब देशों को सौंप दिया गया एवं 1% हिस्सा UNO ने स्वयं अपने पास रखा| UNO ने फिलिस्तीन का विभाजन इस प्रकार से किया था कि सभी देशों को यह अंदेशा हो चुका था कि यहूदी कभी ना कभी पूरे फिलिस्तीन पर अपना कब्जा आवश्यक जमाएंगे और आगे चलकर यह शक सही साबित हुआ| UNO द्वारा जारी किए गए नक्शे का सभी ने खूब विरोध किया परंतु यहूदियों ने UNO का पुरजोर समर्थन किया क्योंकि यहूदियों के पास अपना कोई देश नहीं था UNO के इस फैसले से उन्हें स्वयं के लिए एक देश मिल गया था| UNO के इस फैसले के बाद ब्रिटेन ने अपने हाथ पीछे खींच लिए और इसी के साथ 14 मई 1948 को 14,000 km square क्षेत्रफल के एक यहूदी देश इजराइल का जन्म हुआ|
इजराइल का प्रभुत्व
इजराइल देश के बनने के बाद इजराइल और उसके पड़ोसी देशों के बीच कई युद्ध हुए| इजराइल इन युद्धों में विजई होता चला गया और साथ ही साथ अपने कुल क्षेत्रफल को भी बढाता चला गया| इजराइल ने अपने विरोधी देशों को युद्ध में इस तरह से पछाड़ा था कि उसका लोहा पूरा विश्व मानने लगा| देश की आबादी कम होने के बावजूद भी इजरायल लगातार कई युद्ध जीता चला गया| इजराइल में हर नागरिक को 3 साल का सैन्य प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है जिससे कि जरूरत पड़ने पर इजराइल अपनी सैन्य शक्तियों को बढ़ा सके| यहूदी बहुत ही बुद्धिमान हुआ करते हैं इसी कारण से ब्रिटेन भी इनका समर्थन पाना चाहता था, इजराइल के नागरिकों ने अपनी बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन करते हुए कई ऐसे आविष्कार किए जो उनके देश हित में पूर्णतः कामयाब साबित हुआ| वर्तमान समय में कोई भी देश इजराइल की ओर उंगली नहीं उठाता क्योंकि सभी मुल्क इजराइल की शक्तियों को भली-भांति पहचानते हैं| इजराइल में विकास बहुत तेजी से हुआ है| वहां के leader इस बात को भलीभांति जानते थे कि यदि इजरायल को सशक्त बनाना है तो हमें देश की बुनियाद को मजबूत करना होगा| वर्तमान समय में इजरायल एक आत्मनिर्भर और ताकतवर देश के रूप में जाना जाता है| आज के समय में विश्व भर की कई कंपनियां इजराइल में अपना पैसा invest करती है जिससे कि इसराइल का सशक्तिकरण और तेजी से हो रहा है|





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