सिक्किम का भारत में विलय कैसे हुआ ???आजादी से पहले सिक्किम का इतिहास क्या था???

आज़ादी के बाद का सिक्किम

सन् 1947 में भारत की आजादी के साथ ही सिक्किम सहित अन्य रियासतों को भी आजादी मिल गई | सभी मुक्त रियासतों को दो विकल्पों में से एक को चुनने की बात कही गई या फिर उन रियासतों को अन्य राष्ट्रों में विलय करना होगा या यदि वे चाहें तो अपना स्वयं का मुक्त राष्ट्र बना सकते हैं। सिक्किम के उस समय के चोग्याल ताशी नामग्याल ने सिक्किम में जनमत संग्रह द्वारा सिक्किम को मुक्ता राष्ट्र के रूप में स्थापित करने का निर्णय लिया।

इंडो-सिक्किम संधि, 1950

सिक्किम के चोग्याल और भारत के उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू के बीच वर्ष 1950 में इंडो-सिक्किम संधि पर करार किया था। इस संधि के तहत भारत सरकार द्वारा सिक्किम को संरक्षित राज्य का दर्जा दिया गया है। इसके विपरीत सरदार पटेल सिक्किम को उसी समय भारत में विलय करवाने के पक्ष में थे किंतु पंडित नेहरू ने उस वक्त सिक्किम को संरक्षित राज्य बनाना उचित समझा।
उस वक्त कई लोगों द्वारा यह भी कहा गया कि ताशी नामग्याल और पंडित नेहरू के बीच अच्छी मित्रता की तर्ज़ पर ही सिक्किम को संरक्षित राज्य का दर्जा प्रदान किया है।

भारत सरकार और सिक्किम के बीच समन्वय

इंडो- सिक्किम संधि की तर्ज पर सिक्किम में भी लोकतांत्रिक संरचना को स्वरूप देने के लिए कई राजनीतिक दलों का गठन हुआ, चुनाव करवाए गए और सिक्किम नेशनल कांग्रेस ने लगभग सभी सीटों को अपने नाम दर्ज किया और इसी पार्टी के काजी़ तेन्दूप दोरजी सिक्किम के पहले मुख्यमंत्री बने | इन सभी प्रक्रियाओं के तहत भारत सरकार का प्रतिनिधि भी होता था | हालांकि सिक्किम में लोकतांत्रिक स्वरूप के आरंभ होने के बावजूद भी चोग्याल की शक्तियों पर कोई विशेष असर नहीं पड़ा है इसके अलावा अधिकारिक इंडो-सिक्किम संधि के अनुसार अब सिक्किम के रक्षा, संचार और विदेशी मामलों की जिम्मेदारी भारत सरकार के पास आ गई थी।

पाल्डेन थोंडुप और होप कूक की भूमिका

वर्ष 1963 में ताशी नामग्याल की मृत्यु हो गई | इसके पश्चात उनके पुत्र पालदीन थोंडुप नामग्याल सिक्किम के शासक बने | पाल्डेन थोंडुप और उन्हें पूर्व उनके पिता ताशी नामग्याल अक्सर विदेशी यात्राओं पर जाया करते थे और वे विदेशों में सिक्किम को एक अलग और पूर्णतः स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में प्रदर्शित किया करते थे कि वे सिक्किम का अलग झंडा लेकर चलते थे। उनकी यह बात भारत सरकार को कभी रास नहीं आई | पाल्डेन थोंडुप नामग्याल ने वर्ष 1963 में एक अमेरिकी लड़की होप कूक से दूसरी शादी कर ली हालांकि इससे पहले भी उनकी एक तिब्बती पत्नी थी, जिससे उनकी शादी पारंपरिक तरीके से हुई थी।
चूंकि होप कूक अमेरिकन मूल की थी इसलिए वे सदैव भारतीय खुफिया एजेंसियों की नज़रों में रहती थी | बाद में होप कूक पर अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए की जासूस होने का इंजाम भी लगा| उस समय अमेरिका भारत का मित्र नहीं था उसका झुकाव पाकिस्तान की तरफ ज्यादा था भारत सरकार इसलिए भी होप कूक से खफा रहती थी क्योंकि वह कई ऐसी आर्टिकल लिखती थी जिसमें भारत सरकार की नीतियों की निन्दा झलकती थी।

सिक्किम का भारत में विलय क्यों ज़रूरी हो गया था?

वर्ष 1950 में चीन ने जबरन तिब्बत पर अनाधिकारिक रूप से  कब्जा कर लिया था, इस घटना के पश्चात भारत-चीन की सीमा रेखा में बहुत बड़ा इजाफा हुआ | 1950 के बाद से ही भारत सरकार को यह अनुमान होने लगा था कि कभी न कभी चीन सीमा को लेकर विवादास्पद रुख अवश्य अपनाएगा और वह भारत पर हमला भी करना चाहेगा| भारत सरकार का यह अनुमान सच है तब साबित हुआ जब सन् 1962 में चीन ने भारत पर हमला कर दिया इस हमले के कारण भारत को एक बड़ा क्षेत्र अक्साई चीन के रूप मे गवाना पड़ा | इस घटना के बाद भारत सरकार सहित भारतीय सेना पूर्णतः सचेत हो गई थी | भारतीय सेना इसलिए भी सजग थी क्योंकि चीन की चुम्बी घाटी के पास भारत का केवल 21 मील का क्षेत्र था जिसे चिलीगुड़ी नेक कहा जाता है और चीन कभी भी इस क्षेत्र पर काबू पाकर उत्तर-पूर्वी भारत में घुस सकता था।इसके बाद वर्ष 1967 में चीन ने भारत के चो ला नामक स्थान पर अचानक हमला कर दिया भारत के पूर्वानुमान के कारण भारतीय सैनिक चीनियों को पीछे धकेलने में सक्षम रहें इस घटना को चो ला घटना या 10 दिन का युद्ध के नाम से भी जाना है |
इन घटनाओं के बाद भारत के लिए जरूरी हो गया था कि सिक्किम का भारत में विलय हो जाए|

सिक्किम में विरोध प्रदर्शन

60 के दशक से ही सिक्किम में राजशाही को हटाने और लोकतंत्र को अपनाने के समर्थन में विरोध होने शुरू हो गए थे| नेपालियों और बूटियाओं के बीच कुछ दंगे भी देखने को मिले हालांकि ये दंगे जाति या धर्म के नाम पर नहीं हुए थे यह दंगे लोकतंत्र और राजतंत्र की विचारधाराओं पर आधारित थे| 70 का दशक आते-आते इन विरोध प्रदर्शनों ने एक प्रचंड रूप धारण कर लिया था| कानून व्यवस्था संभाले न संभल रही थी| कुछ राजनीतिक पार्टियों ने भी विरोध प्रदर्शन किए| वर्ष 1973 आते-आते इन विरोध प्रदर्शनों में अत्यंत ही हिंसात्मक और भयावह रूप धारण कर लिया था|

8 मई 1973 का एग्रीमेंट

उग्र रूप धारण कर चुके विरोध प्रदर्शन पर काबू पाने के लिए सिक्किम के चोग्याल शासक, राजनीतिक पार्टियों और भारत सरकार के मध्य 8 मई 1973 को एक एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए गए| इस एग्रीमेंट के तहत सिक्किम के चोग्याल ने भारत सरकार से विरोध  पर काबू पाने के लिए भारतीय सेना व पुलिस का सहयोग मांगा|
 इसके अलावा के अलावा एग्रीमेंट की तर्ज पर अब चुनाव अलग तरीके से कराने की मंजूरी ली गई और इस प्रक्रिया का लगभग सारा अधिकार भारतीय प्रतिनिधि के पास होने की बात भी कही गई| इसके अतिरिक्त भारत सरकार द्वारा एक ड्राफ्ट संशोधन लाया गया जिसका सिक्किम के चोग्याल द्वारा पूर्णतः विरोध किया क्योंकि उनका कहना था कि ये ड्राफ्ट संशोधन पूरी तरह से उनके अधिकारों का हनन कर लेगी और यह बात सच भी थी| वर्ष 1973-1974 में चुनाव करवाए गए जिसमें सिक्किम नेशनल कांग्रेस की विजय हुई और यह पार्टी भारत सरकार के पक्ष में थी यह पार्टी भी चाहती थी कि सिक्किम का भारत में विलय हो जाए|

भारत में सिक्किम विलय की ओर पहल

सितंबर 1974 तक लोगों के मन में यह संदेह घर कर चुका था कि अब भारत सरकार सिक्किम को स्वयं में विलय अवश्य करवाएगा| इसी कड़ी में भारत सरकार ने 1974 में संविधान में 35 वें संशोधन के जरिए सिक्किम को संरक्षित राज्य से सह-राज्य का दर्जा प्रदान कर दिया जिसकी कई नेशनल अखबारों ने आलोचना भी की थी उनका कहना था कि भारत सरकार 1950 में हुई इंडो-सिक्किम संधि को तोड़ रही है| 
9 अप्रैल 1975 को अचानक सिक्किम के चोग्याल के महल को भारतीय सेना ने घेर लिया और तुरंत ही महल के तकरीबन 250-300 गार्डों पर काबू पा लिया| चोग्याल को महल में ही नजरबंद कर दिया गया और अगले दिन 10 अप्रैल को असेंबली बुलाकर चोग्याल के पद को समाप्त कर दिया गया|

सिक्किम का आधिकारिक रूप से भारत में विलय

भारत सरकार ने विश्व के सम्मुख इस घटना को लोकतांत्रिक रूप प्रदान करने के लिए सिक्किम में एक जनमत संग्रह करवाने का फैसला लिया गया, इस जनमत संग्रह में लगभग 97.5% यानी 60,000 लोगों ने भारत के साथ विलय को उचित माना और केवल 1,496 लोग ही इसके विरोध में थे| कई लोगों ने इस जनमत संग्रह पर भी प्रश्न उठाए क्योंकि उनका कहना था कि केवल 5 दिनों के भीतर सिक्किम जैसे पहाड़ी क्षेत्र में जहां कई गांवों तक पहुंचने में ही 5 से 7 दिन लग जाते हैं वहाँ केवल 5 दिनों के भीतर यह जनमत संग्रह कैसे करवाया गया? भारत सरकार द्वारा इन बातों का खंडन किया गया| 
सिक्किम को भारत का राज्य बनाने के लिए 36 वें संविधान संशोधन के अंतर्गत विधेयक को 23 अप्रैल 1975 को लोकसभा में पेश किया गया जहां यह विधेयक 299-11 के मतों से पारित हो गया वहीं राज्यसभा में यह विधेयक 26 अप्रैल को पारित हुआ| लोकसभा और राज्यसभा में पारित होने के बाद 15 मई 1975 को भारत के राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने इस बिल पर हस्ताक्षर किए और अगले दिन यानी 16 मई से सिक्किम औपचारिक रूप से भारत का 22 वां राज्य बन गया| इसी के साथ सिक्किम में चोग्याल का समापन हो गया|

धन्यवाद

✍ गौरव कुमार