आज़ादी से पहले सिक्किम का इतिहास क्या है ???

सिक्किम के इतिहास का प्रारंभिक समय आठवीं शताब्दी से माना जाता है | आठवीं शताब्दी में बौद्ध भिक्षु गुरु रिनपोशे ने सिक्किम का दौरा किया था, इस बात का उल्लेख सिक्किम के सबसे प्राचीन विवरणों में मिलता है। इसके बाद सिक्किम में कई राजाओं का शासन रहा लेकिन इसके बावजूद सिक्किम प्रभावशाली रूप से अपनी पहचान स्थापित नहीं कर पाया था|

16 वीं शताब्दी में सिक्किम ने अपने वजूद को स्थापित करने की ओर पहला कदम बढ़ाया, जब तीन बौद्ध भिक्षुओं ने मिलकर फुत्सोंग नामग्याल को सिक्किम का राजा घोषित किया, इस तरह से सिक्किम में चोग्याल (राजा) शासन शुरू हुआ और यह चोग्याल राजतंत्र अगले 333  सालों तक चला | फुत्सोंग नामग्याल, नामग्याल वंश से ताल्लुक रखते थे | ऐसा माना जाता है कि फुत्सोंग नामग्याल मूल रूप से तिब्बती थे और वह तिब्बत से सिक्किम आए थे फुत्सोन्ग नामग्याल की मृत्यु के पश्चात उनके पुत्र तेन चुंग नामग्याल ने वर्ष 1670 में चोग्याल की पदवी संभाली | वर्ष 1700 में भूटान ने सिक्किम पर आक्रमण कर दिया था, इस आक्रमण को विफल बनाने के लिए सिक्किम के चोग्याल ने तिब्बतियों की सहायता ली और अपनी सत्ता को बरकरार रखा। तत्पश्चात वर्ष 1718 से 1733 के बीच सिक्किम को नेपाल और भूटान के कई आक्रमणों का सामना करना पड़ा।

कुछ समय पश्चात नेपाल ने एक बार फिर से सिक्किम पर हमला किया और सिक्किम के एक बड़े क्षेत्र को अपने अधीन कर लिया | उस वक्त तक भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपना दबदबा स्थापित कर लिया था | इस बात को देखते हुए सिक्किम ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी से अपनी मित्रता बढ़ाई| ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने यह अनुमान लगा लिया था कि इस मित्रता से उन्हें भी फायदा हो सकता है क्योंकि नेपाल, सिक्किम और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी दोनों का ही शत्रु था| सिक्किम को नेपाल से मुक्त कराने के लिए ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने सन 1814 में नेपाल पर चढ़ाई कर दी जिसकी वजह से 1814 से 1816 का आंग्लो-नेपाली युद्ध होगा, जिसे गोरखा युद्ध के रूप में भी जाना जाता है |इस युद्ध में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी विजई हुई और उसने 1816 में नेपाल के साथ सुगौली संधि पर हस्ताक्षर किए इस संधि के द्वारा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने नेपाल का कुछ हिस्सा अपने अधीन कर दिया और ब्रिटिश सेना में गोरखा की भर्ती पर भी स्वीकृति प्राप्त कर ली। इसके अलावा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने सिक्किम के साथ 1817 में तितालिया संधि को स्वीकार किया जिसके तहत सिक्किम को नेपाल से वह सारे क्षेत्र वापस दिलवा दिए गए जो नेपाल के अधीन थे। 

इस समय तक सिक्किम और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के रिश्ते अच्छे थे लेकिन अंग्रेजों ने अपने क्षेत्र के विस्तार के लिए सिक्किम के प्रति भी कूटनीतिज्ञ रुख अपनाया। अंग्रेजों ने सिक्किम के मोरान प्रदेश में कर लागू कर दिया जिसके कारण सिक्किम और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के रिश्तो के बीच कड़वाहट पैदा होने लगी | ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी सिक्किम के चोग्याल से दार्जिलिंग क्षेत्र की मांग करने लगा जहां के चाय के बागान अंग्रेजों को अत्यधिक लाभ प्रदान करवा सकते थे। सिक्किम के चोग्याल (राजा) शासक अंग्रेजों को दार्जिलिंग का क्षेत्र इस शर्त पर देने के लिए तैयार हो गए कि ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी उन्हे उस क्षेत्र का वार्षिक किराया देखता रहेगा। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस शर्त को स्वीकार कर लिया | ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने कुछ समय तक इस शर्त के मुताबिक चोग्याल शासक को दार्जिलिंग क्षेत्र का किराया दिया लेकिन कुछ समय पश्चात उन्होंने कहा कि यह किराया देना बंद कर देगा जिसके कारण कई जमींदारों ने दार्जिलिंग क्षेत्र पर हमला कर दिया, ब्रिटिश कंपनी ने इस विरोध को कुचलने की ठान ली थी। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने वर्ष 1850 में और 1862 में विद्रोह को जड़ से उखाड़ने के लिए सिक्किम के क्षेत्रों में सेना का फैलाव करवा दिया था और समय के साथ उन्होंने विद्रोह पर काबू पा लिया |

 इस घटना के पश्चात ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी सिक्किम को अपने अधीन संरक्षित राज्य होने की बात कहने लगा और आने वाले वर्षों में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपनी इस बात पर बहुत जोर दिया| अंततः वर्ष 1890 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने चीन के साथ एक संधि को स्वीकार किया गया जिसमें यह कहा गया कि चीन के लोग सिक्किम में प्रवेश नहीं कर सकते और अंग्रेज सिक्किम की सीमा से आगे नहीं जा सकते हैं। इस संधि में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस बात को स्पष्ट रूप प्रदान किया कि सिक्किम उनके अधीन रहने वाला एक संरक्षित राज्य है| इसकी पश्चात ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने सेना भेजकर सिक्किम को स्वयं के अधीन कर लिया |  तत्पश्चात सिक्किम तब तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन रहा जब तक भारत को 1947 में अंग्रेजों से आजादी प्राप्त नहीं हो गयी। भारत को आजादी मिलने के साथ ही सभी रियासतों को यह अवसर प्रदान किया कि वह किसी राष्ट्र में विलय कर रहे हैं या स्वयं का एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाते हैं | सिक्किम के चोग्याल ने सिक्किम को एक मुक्त राष्ट्र बनाने का फैसला लिया और इसके बाद सिक्किम ने अपना अलग अस्तित्व स्थापित किया|

सिक्किम ने भारत सरकार के साथ समन्वय स्थापित किया, इसके अलावा सिक्किम के रक्षा, संचार और विदेशी मामलों की जिम्मेदारी भारत सरकार के पास थी। भारत सरकार ने सिक्किम को अपना संरक्षित राज्य होने का दर्जा प्रदान किया| अगले लगभग 28 वर्षों तक सिक्किम भारत का संरक्षित राज्य रहा और अंततः वर्ष 1975 में सिक्किम भारत में विलय हो गया और भारत का 22 वां राज्य बना |

..... धन्यवाद